Description
मुंबई की फ़िल्म इंडस्ट्री हमेशा एक पहेली की तरह है। हर कोई पर्दे के पीछे की कहानियाँ जानना चाहता है। यह उपन्यास ऐसी ही एक दिलचस्प कहानी कहता है, जहाँ एक सुपरस्टार मर गया है। उसकी भूमिका लंबे समय से तैयार हो रही है। हर साल बड़ी संख्या में युवा फ़िल्मी दुनिया का हिस्सा होने के लिए सपना देखते हैं लेकिन सच्चाई क्या है? क्या वहाँ सचमुच नए लोगों का स्वागत तहेदिल से किया जाता है। इस वक़्त पूरे देश में नेपोटिज्म की बहस चल रही है। यह उपन्यास दिखाता है कि उस शहर में नए रास्ते कैसे बनते हैं और उन पर चलने के ख़तरे और चुनौतियाँ क्या हैं? उपन्यास अपनी गद्य संरचना में ऐसा है कि एक बार पढ़ना शुरू करने पर पाठक उसके साथ बहने लगता है। उसे लगता है जैसे फ़िल्मी दुनिया के पर्दे के पीछे चल रही कहानी उसकी आँखों के सामने सजीव हो गई है।
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